Chhath Puja 2022: छठ पूजा क्यों मनाई जाती है? जानिए छठ के चार दिनों की तिथि, इतिहास और महत्व
Chhath Puja 2022 History and Singnificance: छठ पूजा की शुरूआत हो चुकी है. छठ पूजा पहला अर्घ्य 30 अक्टूबर को डूबते हुए सूर्य को शाम 5 बजकर 38 मिनट पर दिया जाएगा. आइए जानते हैं छठ पूजा की तिथि इतिहास और महत्व के बारे में.
छठ पूजा 2022 तिथि | Chhath Puja 2022 Date
छठ पूजा दिवाली के छह दिनों के बाद या कार्तिक महीने के छठे दिन मनाई जाती है. भक्त दिवाली के एक दिन बाद केवल सात्विक भोजन (प्याज या लहसुन के बिना) को अत्यधिक स्वच्छता के साथ तैयार करते हैं और स्नान करने के बाद ही खाने से छठ की तैयारी शुरू करते हैं. इस साल छठ पूजा 30 अक्टूबर, रविवार और 31 अक्टूबर, सोमवार को होगी. जो कि 28 अक्टूबर को नहाय खाय से शुरू हो चुकी है. इसके बाद 29 अक्टूबर को आज खरना छठ पूजा है. लोग छठ का पालन करते हैं, वे कठोर रीति-रिवाज और नियमों का पालन करते हैं. द्रिक पंचांग के अनुसार छठ पूजा पर सूर्योदय सुबह 06:43 बजे और सूर्यास्त शाम 06:03 बजे होगा. षष्ठी तिथि 30 अक्टूबर को प्रातः 05:49 बजे से प्रारंभ होकर 31 अक्टूबर को प्रातः 03:27 बजे समाप्त होगी.
छठ पूजा 2022, इतिहास | Chhath Puja History
छठ पूजा की उत्पत्ति से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं, और कुछ का उल्लेख ऋग्वेद ग्रंथों में भी मिलते हैं. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्रौपदी और पांडव अपने राज्य को पुनः प्राप्त करने और अपने मुद्दों को हल करने के लिए छठ पूजा का व्रत रखा था. एक अन्य मान्यता के अनुसार कर्ण, जो भगवान सूर्य और कुंती के पुत्र थे, वे भी छठ पूजा करते थे. कहा जाता है कि उन्होंने महाभारत काल में जल में घंटों खड़े होकर सूर्य देव की उपासना किया करते थे.
छठ पूजा के दौरान भक्त अर्घ्य देते हैं और भगवान सूर्य और छठी मैया से प्रार्थना करते हैं कि वे अपना आशीर्वाद प्राप्त करें. इसके साथ ही अपने बच्चों और परिवार के सदस्यों की समृद्धि और कल्याण के लिए सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं. भगवान सूर्य की पूजा करते समय, भक्त ऋग्वेद के मंत्रों का भी जाप करते हैं. यह भी कहा जाता है कि वैदिक युग के ऋषि सूर्य की किरणों से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए स्वयं को सीधे सूर्य के प्रकाश में उजागर करके छठ पूजा करते थे.
छठ पूजा 2022, महत्व
छठ पूजा के दौरान भगवान सूर्य और छठी मैया से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए महिलाएं 36 घंटे तक उपवास रखती हैं. छठ के पहले दिन को नहाय खाय कहा जाता है - भक्त गंगा नदी जैसे पवित्र जल में स्नान करते हैं, छठ का पालन करने वाली महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भक्त भगवान सूर्य के लिए प्रसाद तैयार करते हैं. दूसरे और तीसरे दिन को खरना और छठ पूजा कहा जाता है. महिलाएं इन दिनों एक कठिन निर्जला व्रत रखती हैं. इसके साथ ही चौथे दिन (उषा अर्घ्य) महिलाएं पानी में खड़े होकर उगते सूरज को अर्घ्य देती हैं और फिर अपना 36 घंटे का उपवास तोड़ती हैं.