अदाणी समूह ने हजारों पेड़ लगाकर दिया पर्यावरण संरक्षण का सन्देश
जिला सिंगरौली मध्यप्रदेश से ब्यूरो चीफ विवेक पाण्डेय की खास रिपोर्ट
जिला सिंगरौली मध्यप्रदेश रिर्टन विश्वकाशी (RV NEWS LIVE) ब्यूरो न्यूज़//जून 06, 2022 विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2022 के मौके पर आमलोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए सन्देश देने के उद्देश्य से अदाणी समूह द्वारा विशाल पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सरई तहसील अन्तर्गत सुलियारी और धिरौली खदान क्षेत्र में इस वर्ष के पर्यावरण दिवस का थीम "केवल एक पृथ्वी" पर केंद्रित पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। हरित पृथ्वी बनाने एवं सकारात्मक बदलाव लाने के उद्देश्य से इस मौके पर सुलियारी और धिरौली खदान के आसपास 10,000 से ज्यादा पौधारोपण किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान अदाणी समूह के सिंगरौली क्लस्टर हेड श्री बच्चा प्रसाद सहित तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों ने वृक्षारोपण कार्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। मौके पर उपस्थित अधिकारियों और कर्मचारियों ने विश्व पर्यावरण दिवस के उद्देश्य को सफल बनाने का संकल्प लिया।
गौरतलब है कि आज के समय में बढ़ते प्रदूषण और पर्यावरण का बिगड़ता संतुलन का पूरा विश्व सामना कर रहा है। प्रदूषण हमारी हवा, जमीन और पानी में जहर घोल रहा है। पर्यावरण की रक्षा के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने हेतु हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। वातावरण को प्रदूषित कर, नदियों को गंदा कर और पेड़ों को काट कर हम आने वाली पीढ़ी के लिए और प्रकृति का अस्तित्व खत्म करने के लिए एक खतरनाक वातावरण बना रहे हैं। विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण को समर्पित एक दिन है और पर्यावरण के मुद्दों के बारे में आमलोगों में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। यह विभिन्न समाजों और समुदायों के लोगों को सक्रिय रूप से भाग लेने के साथ-साथ पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों को विकसित करने में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करता है। विश्व पर्यावरण दिवस 2022 का नारा "केवल एक पृथ्वी" है। यह प्रकृति के साथ सद्भाव में स्थायी रूप से रहने पर केंद्रित है।
लगाए गए पेड़ों में ज्यादातर पेड़ नीम, अमलतास, महुआ और सरई के हैं। नीम बहुतायत में पाया जाने वाला वृक्ष है। यह औषधीय गुणों से भरपूर होता है, इसलिए आम जीवन में इसका खूब प्रयोग होता है. इसकी पत्तियों से लेकर इसके बीज तक सब कुछ अत्यंत उपयोगी होते हैं। अमलतास के पेड़ भी औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इस पेड़ पर झूमर की तरह पीले फूल लटकते हैं, जो कि इस पेड़ की सुंदरता को और बढ़ाते हैं। यह पेड़ अक्सर बाग-बगीचों में लगाया जाता है। हालांकि, जंगलों में भी इसे अक्सर उगता हुआ देखा जाता है। महुआ का वृक्ष शुष्क क्षेत्रों में आसानी से उगाया जाता है। आदिवासी जनजातियों में महुआ का अपना एक अलग महत्व है। भारत में कुछ समाज इसे कल्पवृक्ष भी मानते है। मध्य एवं पश्चिमी भारत के दूरदराज वनअंचलों में बसे ग्रामीण आदिवासी जनजातियों के लिए रोजगार के साधन एवं खाद्य रूप में महुआ वृक्ष का महत्व बहुत अधिक है। वहीं सरई का पेड़ ग्रामीणों के जीविकोपार्जन का एक बड़ा साधन है। ग्रामीण इसके पत्तों से दोना व पत्तल बनाते हैं वहीं पान की दुकानों में पान बांधने के लिए इसी के पत्ते का उपयोग किया जाता है। इसके बीज को भी बेचकर ग्रामीण मुनाफा कमाते हैं।